अकबर-बीरबल की बेस्ट कहानियां-Akbar Birbal Stories in Hindi

Akbar Birbal Stories in Hindi

अकबर-बीरबल की कहानियां (Akbar Birbal Stories in Hindi)

Contents

बीरबल की खिचड़ी  (Birbal’s Khichri)

ठंड का दिन था, अकबर और बीरबल  झील के किनारे टहल रहे थे।  बीरबल के मन एक विचार आया कि एक आदमी पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है।

बीरबल ने अकबर से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। तभी अकबर ने अपनी उंगली झील में डाल दी और उसे तुरंत हटा दिया क्योंकि पानी काफी ठंडा था।

अकबर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि एक आदमी पैसे के लिए इस झील के ठंडे पानी में पूरी रात बिता सकता है। बीरबल ने जवाब दिया, “मुझे यकीन है कि मैं ऐसा व्यक्ति को ढूंढ सकता हूं।

अकबर ने बीरबल को इस तरह के व्यक्ति को ढूंढने की चुनौती दी और कहा कि अगर कोई व्यक्ति ऐसा कर दिया तो मै उस व्यक्ति को एक हजार सोने के सिक्के दूंगा।

बीरबल ने दूर-दूर तक खोज की, तब जाके एक गरीब आदमी उसे मिला, जो इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार था। गरीब आदमी ने झील में प्रवेश किया और अकबर के सिपाही उसके पास तैनात कर दिए गए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह अपने वादा पूरा करता है या नहीं।

अगली सुबह सिपाही उस गरीब आदमी को अकबर के पास ले गए। अकबर ने गरीब आदमी से पूछा कि क्या उसने वास्तव में झील में रात बिताई है। गरीब आदमी ने जवाब दिया जी हजूर। अकबर ने उस गरीब आदमी से पूछा कि कैसे वह झील में रात बिताने में कामयाब रहा।

ग़रीब आदमी ने जवाब दिया कि उसके पास में एक स्ट्रीट लैंप था और उसने अपना पूरा ध्यान दीपक पर लगाए रखा और वह ठंड को भूल गया।

अकबर ने तब कहा, तुम्हें कोई इनाम नहीं मिलेगा क्योंकि तुम रात में स्ट्रीट लैंप की गर्मी से झील के ठंढ से बच सके। गरीब आदमी उदास होकर मदद के लिए बीरबल के पास गया।

अगले दिन, बीरबल कोर्ट नहीं गए। राजा को आश्चर्य हुआ कि वे कहाँ है, अकबर ने बीरबल के घर एक दूत भेजा। दूत वापस आकर अकबर को बताया कि बीरबल एक बार खिचड़ी पका ले तब वे आएंगे।

राजा ने घंटों तक इंतजार किया लेकिन बीरबल नहीं आए। अंत में, राजा ने बीरबल के घर जाकर यह देखने का फैसला किया कि बीरबल अभी तक क्यों नहीं आये।

उसने बीरबल को कुछ जलती हुई टहनियों के पास फर्श पर बैठा देखा और खिचड़ी से भरा एक कटोरा आग से पाँच फीट ऊपर लटका देखा। राजा यह देखकर अपनी हसी रोक नहीं पाए।

अकबर ने बीरबल से कहा, अगर आग से इतनी दूर खिचड़ी होगा तो खिचड़ी कैसे बनेगा। बीरबल ने उत्तर दिया, महाराज जिस तरह से गरीब आदमी को एक स्ट्रीट लैंप से गर्मी मिली सकती है, जो एक फर्लांग से ज्यादा दूर था। तो खिचड़ी क्यों नहीं पक सकती है।                          

राजा ने अपनी गलती समझी और उस गरीब आदमी को उसका इनाम दिया।

सीख : आशा की एक छोटी सी किरण उस व्यक्ति को प्रेरित करने के लिए पर्याप्त है जो अपने सपने को वास्तविकता में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार है।

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बुद्धि से भरा एक बर्तन (द पॉट ऑफ़ द विट)

एक बार बादशाह अकबर अपने पसंदीदा मंत्री बीरबल पर बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने बीरबल को राज्य छोड़ने और चले जाने के लिए कहा।

बादशाह की आज्ञा को स्वीकार करते हुए, बीरबल ने राज्य छोड़ दिया और एक अलग गांव में एक किसान के खेत में एक अलग पहचान बनाकर काम करना शुरू कर दिया।

जैसे-जैसे महीने बीतते गए, अकबर को बीरबल की याद आने लगी। वह बीरबल की सलाह के बिना साम्राज्य में कई मुद्दों को हल करने में मुश्किले आने लगी। राजा को अपने फैसले पर पछतावा हो रहा था, क्योकि अकबर ने बीरबल को क्रोध में साम्राज्य छोड़ने के लिए कहा था।

इसलिए अकबर ने अपने सैनिकों को बीरबल को खोजने के लिए भेजा, लेकिन वे उसे खोजने में असफल रहे। बीरबल कहां थे, यह कोई नहीं जानता था। अकबर को आखिर एक तरकीब सूझी।

उसने प्रत्येक गाँव के मुखिया को एक संदेश भेजा कि वह बुद्धि से भरा एक बर्तन सम्राट को भेजेगे। यदि वे बुद्धि से भरा बर्तन नहीं भेज सकते है, तो हीरे और जवाहरात से  भरा बर्तन भेजें।

यह संदेश बीरबल तक भी पहुंचा, जो एक गाँव में रहते थे। गाँव के लोग इकट्ठे हो गए। सब बातें करने लगे कि अब क्या करना है? बुद्धि वह चीज नहीं है, जिसे बर्तन में भरा जा सके। हम हीरे और जवाहरात के लिए बर्तन को भरने और सम्राट को भेजने की व्यवस्था कैसे करेंगे?

ग्रामीणों के बीच बैठे बीरबल ने कहा, मुझे बर्तन दो, मैं एक महीने के अंत में बुद्धि से भर दूंगा। सभी ने बीरबल पर भरोसा किया और उन्हें एक मौका देने के लिए राजी हो गए। वे अभी भी बीरबल को  पहचान नहीं रहे थे।

बीरबल बर्तन को अपने साथ ले गया और वापस खेत में चला गया। उसने अपने खेत पर तरबूज लगाए थे। उन्होंने एक छोटे से तरबूज का चयन किया और इसे पौधे से काटे बिना, उस बर्तन में डाल दिया।

उन्होंने नियमित रूप से पानी और उर्वरक प्रदान करके इसकी देखभाल शुरू की। कुछ दिनों के भीतर, तरबूज एक बर्तन में इतना बढ़ गया कि इसे बर्तन से बाहर निकालना असंभव था।

जल्द ही, तरबूज अंदर से बर्तन के समान आकार ले लिया। फिर बीरबल ने तरबूज को बेल से काटा और बर्तन सहित उसे अलग कर लिया। बाद में, उन्होंने सम्राट अकबर को एक संदेश के साथ उस बर्तन को भेजा कि बिना बर्तन को काटे और तोड़े बिना बुद्धि निकाल ले।

अकबर ने बर्तन में तरबूज देखा और समझ गये कि यह केवल बीरबल का काम हो सकता है। अकबर खुद गाँव आये, बीरबल को अपने साथ वापस ले गया।

सीख: निर्णय में जल्दबाजी न करें। अजीब परिस्थितियों में भी समाधान खोजने के लिए पूरी कोशिश करे।

अकबर-बीरबल की कहानियां (Akbar Birbal Stories in Hindi)

सौ स्वर्ण सिक्के और बीरबल

आप सभी बीरबल की बुद्धिमत्ता से परिचित तो होंगे। अकबर के शासन काल बीरबल की काफ़ी ख्याति थी लेकिन अकबर के बहनोई को उससे बहुत जलन थी। अकबर के बहनोई ने बादशाह से बीरबल की जगह ख़ुद को नियुक्त करने को कहा।

उन्होंने पर्याप्त आश्वासन दिया कि वे बीरबल की तुलना में अधिक कुशल और सक्षम साबित होंगे। इससे पहले कि अकबर इस मामले पर कोई फैसला ले पाते, यह खबर बीरबल तक पहुंच गई।

बीरबल ने यह बात सुनकर इस्तीफा दे दिया और चले गए। अकबर के बहनोई को बीरबल के स्थान पर मंत्री बनाया दिया गया।अकबर ने नए मंत्री का परीक्षा लेने  की सोची।

अकबर ने अपने बहनोई को तीन सौ सोने के सिक्के दिए और कहा, “इन सोने के सिक्कों को ऐसे खर्च करो, जैसे मुझे इस जीवन में सौ सोने के सिक्के का फ़ल मिले; दूसरे 100 दूसरी सोने के सिक्के का फ़ल अगले जन्म में मिले और बचे हुए सोने के सिक्के का फ़ल कुछ भी न मिले।

मंत्री को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह इसका कैसे समाधान निकाले। वह पूरी तरह निराश हो गया। वह रात भर उसी के बारे में सोचता रहा। वह रात भर सो सका।

वह सोच रहा था कि कैसे इस मुसीबत से वह बाहर निकले। आखिरकार, अपनी पत्नी की सलाह पर, उसने बीरबल से मदद मांगी। बीरबल ने कहा, तुम मुझे सोने के सिक्के दे दो। मैं बाकी काम संभाल लूंगा।

बीरबल हाथ में सोने के सिक्कों का थैला पकड़े शहर की सड़कों पर चल पड़ा। उन्होंने एक अमीर व्यापारी को अपने बेटे की शादी का जश्न मनाते हुए देखा। बीरबल ने उसे सौ स्वर्ण मुद्राएँ दीं और विनम्रतापूर्वक कहा, “बादशाह अकबर आपको अपने बेटे की शादी के लिए शुभकामनाएँ और आशीर्वाद भेजा है।

कृपया उसके द्वारा भेजे गए उपहार को स्वीकार करें। व्यापारी अपने आप को सम्मानित महसूस किया कि राजा ने इस तरह के कीमती उपहार के साथ एक विशेष दूत भेजा है । उस अमीर व्यापारी ने  बीरबल को सम्मानित किया और उन्हें राजा के लिए उपहार के रूप में बड़ी संख्या में महंगे उपहार और सोने के सिक्कों से भरा थैला दिया।

इसके बाद, बीरबल शहर के उस क्षेत्र में गए जहाँ गरीब लोग रहते थे। वहाँ उसने सोने के सौ सिक्कों के बदले में भोजन और वस्त्र खरीदे और उन्हें सम्राट के नाम पर बाँट दिया।

जब वह शहर वापस आया तो उसने संगीत और नृत्य का एक कार्यक्रम आयोजित किया। उसने उस पर सौ स्वर्ण मुद्राएँ खर्च कर दी।

अगले दिन बीरबल ने अकबर के दरबार गया और घोषणा कि उन्होंने वह सब किया है जो राजा ने अपने बहनोई से करने के लिए कहा था।

सम्राट जानना चाहता था कि उसने यह कैसे किया है। बीरबल ने सभी घटनाओं के दृश्यों को दोहराया और फिर कहा, मैंने एक अमीर व्यापारी को अपने बेटे की शादी के लिए  जो पैसा दिया था उसका फल आपको यही मिल गया।

मैंने जो पैसा गरीबों के लिए भोजन और कपड़े खरीदने में खर्च किया, वह आपको दूसरी दुनिया यानि दूसरे जन्म में मिलेगा।

और जो पैसा मैंने संगीत समारोह में खर्च किया, उसका फल फल आपको कही नहीं मिलेगा। अकबर के बहनोई को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। बीरबल को अपना स्थान वापस मिल गया।

सीख – आप दोस्तों पर जो पैसा खर्च करते हैं, वह किसी न किसी रूप में आपके पास वापस आ जाता है। जो धन आप दान करते है वह भगवान के आशीर्वाद  रूप में मिल जाता है। जो धन सुखों पर खर्च किया जाता है। वह किसी रूप में वापस नहीं आता है इसलिए धन को सोच समझ कर खर्च करना चाहिए।

अकबर-बीरबल की कहानियां (Akbar Birbal Stories in Hindi)

Akbar Birbal Stories in Hindi
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किसान का कुआँ और बीरबल (Farmer’s Well & Witty Birbal)

एक बार की बात है एक आदमी ने एक किसान को अपना एक कुआँ बेचा। अगले दिन जब वह किसान उस कुएं से पानी निकालने गया, तो उस आदमी ने किसान को  पानी निकालने से मना कर दिया।

उन्होंने कहा, मैंने तुम्हें कुआँ बेचा है, पानी नहीं, इसलिए तुम कुएं से पानी नहीं निकाल सकते हो।

किसान बहुत दुखी हुआ और सम्राट के दरबार में आया। उसने सम्राट को सब कुछ बताया और न्याय मांगा।बादशाह ने बीरबल को बुलाया और यह मामला उन्हें सौंप दिया।

बीरबल ने उस आदमी को बुलाया जिसने किसान को कुआँ बेचा था। बीरबल ने पूछा, “तुम उसे कुएँ के पानी का उपयोग क्यों नहीं करने देते। तुमने किसान को कुआँ बेच दिया है।

उस आदमी ने जवाब दिया, बीरबल, मैंने किसान को कुआँ बेचा है, पानी नहीं। उसे कुएं से पानी खींचने का कोई अधिकार नहीं है।

तब बीरबल ने मुस्कुराते हुए उससे कहा, अच्छा, यह तुम मानते हो कि कुआँ उस किसान का है और तुम दावा करते हो कि पानी तुम्हारा है, तो तुम्हें अपना पानी किसान के कुएँ में रखने का कोई अधिकार नहीं है।

या तो आप किसान को उसका पानी उसके कुएँ में रखने के लिए किराया दो, या आप उस कुएँ से पानी तुरंत निकाल लो। वह आदमी समझ गया कि उसकी चाल विफल हो गई है। बीरबल ने उसे मात दे दिया है ।

सीख: धोखा देने की कोशिश मत करो। चाहे आप कितने स्मार्ट क्यों न हो। आपको इसका भुगतान करना ही पड़ेगा।

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The Three Questions ( तीन सवाल)

बीरबल, राजा अकबर के बहुत प्रिय थे। इससे एक दरबारी को बहुत जलन होती थी। वह दरबारी हमेशा मुख्यमंत्री बनना चाहता था, लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि बीरबल उस पद पर पहले से थे।

एक दिन अकबर ने दरबारी के सामने बीरबल की प्रशंसा की। इससे दरबारी बहुत क्रोधित हो गया और उन्होंने कहा कि राजा ने बिना किसी वजह के बीरबल की प्रशंसा किया। 

उसने अकबर के कहां कि अगर बीरबल उसके 3 सवालों का ज़बाब दे पाए तो वह इस तथ्य को स्वीकार कर लेगा कि बीरबल बुद्धिमान है। अकबर बीरबल की बुद्धि परीक्षण के लिए तैयार हो गए।

ये तीन सवाल थे:-

1. आकाश में कितने तारे हैं

2. पृथ्वी का केंद्र कहाँ है और

3. दुनिया में कितने पुरुष और कितनी महिलाएं हैं।

तुरंत ही अकबर ने बीरबल से ये तीन सवाल पूछे और उन्हें सूचित किया कि अगर वह इन सवालों का जवाब नहीं दे पाए, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।

पहले सवाल का जवाब देने के लिए, बीरबल एक बालों वाली भेड़ लेकर आया और कहा, जितने भेड़ के शरीर पर बाल हैं, आकाश में उतने तारे हैं । बीरबल ने उस दरबारी से कहा कि आपका स्वागत है यदि आप चाहें तो उन्हें गिन सकते है।

दूसरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए, बीरबल ने जमीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया। फिर एक लोहे की छड़ मंगवाया और उसे एक जगह गाड़ दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, ‘महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्वयं जांच लें।

तीसरे प्रश्न के उत्तर में, बीरबल ने कहा, दुनिया में पुरुषों और महिलाओं की सही संख्या की गणना करना मुश्किल है क्योंकि इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरुषों की श्रेणी में। उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि यह मंत्री जी।

इसलिए, यदि उनके जैसे सभी लोग मार दिए जाय, तभी पुरुषों और महिलाओं की सही संख्या की गणना की जा सकती है।

सीख:- हर समस्या का एक रास्ता जरूर होता है।

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The Wicked Barber’s Plight (दुष्ट नाई की दुर्दशा)

जैसा कि हम सभी जानते हैं, बीरबल अपनी बुद्धिमत्ता और हाज़िर जवाबी के कारण न केवल बादशाह अकबर के पसंदीदा मंत्री थे, बल्कि अधिकांश आम लोगों के भी प्रिय थे।

अनेक लोग अपने व्यक्तिगत मामलों पर सलाह के लिए भी दूर-दूर से उनके पास आते थे। हालांकि, मंत्रियों का एक समूह था जो उनकी बढ़ती लोकप्रियता से ईर्ष्या करते थे और बीरबल को पसंद नहीं करते थे। वे बाहर से तो बीरबल की  प्रशंसा करते थे लेकिन अंदर से, वे उसे मारने की साजिश रचने लगे।

एक दिन वे एक योजना के साथ, राजा के नाई के पास पहुंचे। चूंकि नाई राजा के बेहद करीब था, इसलिए उन्होंने नाई से बीरबल से स्थायी रूप से छुटकारा दिलाने में मदद करने को कहा। उन्होंने उसके बदले में एक बड़ी रकम उसे देने का वादा किया। दुष्ट नाई आसानी से सहमत हो गया।

अगली बार जब राजा को नाई की सेवा की आवश्यकता हुई, तो नाई बातों-बातों में  सम्राट के पिता के बारे में बातचीत शुरू कर दी, उसने राजा से पूछा कि महराज जैसे आप  इतनी बड़ी समृद्धि का आनंद ले रहे है, क्या आपने अपने पूर्वजों के कल्याण के लिए कुछ किया है ?

राजा को यह बात मूर्खता पूर्ण लगी और उसने नाई से कहा कि अब यह संभव नहीं है क्योंकि वे पहले से ही मर चुके है। नाई ने राजा से बोला कि वह एक जादूगर के बारे में जानता है जो इसमें आपकी मदद कर सकता है।

जादूगर आपके पिता के कल्याण के बारे में पूछताछ करने के लिए एक व्यक्ति को स्वर्ग भेज सकता है। लेकिन निश्चित रूप से उस व्यक्ति को सावधानी से चुनाना होगा। वह बुद्धिमान और जिम्मेदार होना चाहिए।

उसके पास जादूगर के निर्देशों का पालन करने के साथ-साथ ऑन-द-स्पॉट निर्णय लेने के लिए पर्याप्त बुद्धि होनी चाहिए। नाई ने इस कार्य के लिए  सभी मंत्रियों में से सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बीरबल का नाम लिया।

राजा अपने मृत पिता की बात सुनकर बहुत उत्साहित थे और उन्होंने नाई से कहा कि वह इसकी तुरंत व्यवस्था करें। अकबर ने उससे पूछा कि इसके लिए क्या करना होगा।

नाई ने राजा को समझाया कि वे बीरबल को एक चिता के अंदर डाल देंगे और चिता को जलाएंगे।जादूगर तब कुछ मंत्रों का जाप करेगा, जिससे  बीरबल को आग से बचाने में मदद मिलेगी। बीरबल धुएं के माध्यम से स्वर्ग पहुंच जाएंगे। 

राजा ने खुशी-खुशी बीरबल को इस योजना की जानकारी दी। बीरबल ने कहा कि यह तो एक शानदार विचार है लेकिन महराज, मै जानना चाहता हु कि इसके पीछे किसका दिमाग है।

जब बीरबल को पता चला कि यह नाई का विचार है, तो वह इस शर्त पर स्वर्ग जाने को तैयार हो गया कि उसे लंबी यात्रा के लिए एक बड़ी रकम दी जाए और साथ ही साथ अपने परिवार को बसाने के लिए एक महीने का समय दिया जाए ताकि उसे चले जाने के बाद उन्हें कोई परेशानी न हो। राजा दोनों शर्तों पर सहमत हो गया।

एक  महीने की अवधि में, बीरबल ने अपने कुछ भरोसेमंद लोगों को, जहां चिता जलानी थी वहां से अपने घर तक एक सुरंग बनाने को कहा। और जिस दिन, चिता जलाई गयी, बीरबल सुरंग के अंदर छिपकर अपने घर पहुंच गया।

वह अपने घर में छिप गया, जहां वह कुछ महीनों तक छिपा रहा, अब उसके बाल और दाढ़ी लंबे और बड़े हो गए।

इस बीच, उनके दुश्मन आनन्दित थे क्योंकि उन्होंने सोचा था कि बीरबल मर चुके है। फिर एक दिन, कई महीनों के बाद बीरबल राजा के पिता की खबर लेकर महल पहुंचे।

राजा उसे देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उनके मन में कई तरह के सवाल थे। बीरबल ने राजा को बताया कि उनके पिता श्रेष्ठ आत्माओं में से एक थे लेकिन उन्हें वहां एक सुख को छोड़कर सभी सुख मिलता है।

राजा जानना चाहता थे कि वहां किस चीज़ की कमी थी।  बीरबल ने जवाब दिया कि स्वर्ग में कोई नाई नहीं है , यही वजह है कि उन्हें अपनी दाढ़ी बढ़ाने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। आपके पिता ने एक अच्छे नाई को भेजने के लिए बोला है।

इसलिए राजा ने स्वर्ग में अपने पिता की सेवा करने के लिए अपना खुद का नाई भेजने का फैसला किया। उसने नाई और जादूगर दोनों को बुलाकर उसे स्वर्ग भेजने की तैयारी की।

नाई अपने बचाव में कुछ भी नहीं कह सकता था क्योंकि वह अपने जाल में फंस गया था। और एक बार चिता जलने के बाद नाई कि मौके पर ही मौत हो गई।

सीख :- जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है वह खुद उस गड्ढा में गिर जाता है।

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बीरबल की बुद्धि (Birbal’s Wisdom)

एक दिन कि बात है, अकबर ने अपनी अंगूठी खो दी। जब बीरबल दरबार में पहुँचे, तो अकबर ने उनसे कहा, मैंने अपनी अंगूठी खो दी है। मेरे पिता ने इसे उपहार के रूप में मुझे दिया था।

कृपया मुझे इसे खोजने में मदद करें। बीरबल ने कहा, महामहिम चिंता मत करो, आपकी अंगूठी मिल जाएगी।

उन्होंने कहा,  महामहिम अंगूठी इस दरबार में ही है, यह दरबारियों में से एक के पास है। जिस दरबारी की दाढ़ी में तिनका है, उसके पास आपकी अंगूठी है।

बादशाह के पास जो दरबारी था, वह चौंक गया और तुरंत अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरने लगा। बीरबल ने दरबारी के इस कृत्य को देख लिया।

उन्होंने तुरंत दरबारी की ओर इशारा किया और कहा, इस आदमी के पास सम्राट की अंगूठी है। उस आदमी की तलाशी ली गयी अंगूठी उसके पास ही था।

अकबर को समझ में नहीं आ रहा था कि बीरबल को कैसे पता चला कि अंगूठी इसके पास है। बीरबल ने अकबर को बताया कि एक दोषी व्यक्ति हमेशा डरता है।

सीख : चोर की दाढी में तिनका

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बीरबल ने चोर को पकड़ लिया (Birbal caught the Thief)

एक बार एक अमीर व्यापारी के घर चोरी हो गया। व्यापारी को संदेह था कि चोर उसके नौकरों में से एक है। इसलिए उन्होंने बीरबल के पास जाकर इस घटना का जिक्र किया।

बीरबल उसके घर गए और उसके सभी नौकरों को इकट्ठा किया और पूछा कि व्यापारी की चीजें किसने चुराई है। हर किसी ने इनकार कर दिया।

बीरबल ने एक पल के लिए सोचा, फिर व्यापारी के सभी नौकरों को समान लंबाई की एक छड़ी दी और उनसे कहा कि असली चोर की छड़ी कल दो इंच लंबी होगी।

बीरबल ने सभी नौकर से कहां कि कल अपने छड़ी के साथ फिर से यहां उपस्थित होना है। सभी नौकर अपने घरों में चले गए और अगले दिन उसी स्थान पर फिर से इकट्ठा हुए।

बीरबल ने उन्हें अपनी छड़ी दिखाने के लिए कहा। नौकरों में से एक ने अपनी छड़ी को दो इंच छोटा कर के लाया था। बीरबल ने कहा, यही नौकर चोर है।

बाद में व्यापारी ने बीरबल से पूछा, तुमने उसे कैसे पकड़ा? बीरबल ने कहा, चोर ने इस डर से रात में अपनी छड़ी को दो इंच छोटा कर दिया था कि कही उसकी छड़ी सुबह तक दो इंच लंबी न हो जाए।

सीख : सत्य की हमेशा जीत होती है।

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राज्य में कौवे (Crows in the Kingdom)

एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल महल के बगीचों में टहल रहे थे। एक अच्छी गर्मियों की सुबह थी और तालाब के चारों ओर खुशियों से खेलते हुए बहुत सारे कौवे थे।

कौवे को देखकर अकबर के मन में एक प्रश्न आ गया कि हमारे राज्य में कितने कौवे होंगे। चूँकि बीरबल उनके साथ थे, तो उन्होंने बीरबल से यह सवाल पूछा।

एक पल के विचार के बाद, बीरबल ने जवाब दिया, हमारे राज्य में 95463 कौवे हैं। बीरबल के त्वरित प्रतिक्रिया से आश्चर्यचकित, अकबर ने उसे फिर से परखने की कोशिश की, क्या होगा अगर तुम्हारे उत्तर से अधिक कौवे होंगे तो ?

बिना हिचकिचाहट के बीरबल ने उत्तर दिया, अगर मेरे उत्तर से अधिक कौवे होंगे, तो कुछ कौवे अन्य पड़ोसी राज्यों से आ गए होंगे।

अकबर ने फिर पूछा और अगर कम कौवे हुए तो? तो बीरबल ने कहा हमारे राज्य से कुछ कौवे दूसरे राज्य चले गए होंगे।

सीख : अगर आप आराम से सोचेंगे तो कोई  न कोई तरीका निकल ही आयेगा।

अकबर-बीरबल की कहानियां (Akbar Birbal Stories in Hindi)

सबसे बड़ा मनहूस कौन?

एक बार की बात है अकबर बिस्तर पर पड़े-पड़े पानी मांगे जा रहे थे। उस समय उनके आसपास कोई निजी सेवक नहीं था। उसी समय महल का कूड़ा कचरा साफ करने वाले निम्न दर्जे के मामूली नौकर ने राजा की आवाज सुनी, वह हिम्मत कर के बादशाह को पानी का गिलास देने लिए गया।

अकबर उसे अपने कमरे में देख कर चौक गए। लेकिन प्यास इतनी तेज लगी थी कि वे खुद को रोक नहीं पाए और पानी पी लिया।

उसके तुरंत बाद अकबर के खास सेवक राजा के पास पहुंच गए। उन्होने फौरन उस कचरा साफ करने वाले नौकर को कमरे से बाहर कर दिया। दिन बीता दोपहर हुई तो अकबर का पेट खराब हो गया।

हकीम को बुलाया गया। पर फिर भी अकबर की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अब राज वैद्य  बुलाया गया, उनके साथ राज्य ज्योतिष भी आये।

उन्होने कहा की शायद आप पर किसी मनहूस व्यक्ति का साया पड़ा गया है, इसलिए आप की तबीयत खराब हो गयी है।

अकबर बादशाह को तुरंत उस कचरा साफ करने वाले नौकर का खयाल आया जो उन्हें सुबह पानी देने आया था। अकबर ने कहा कि आज सुबह मैंने उस कचरा साफ करने वाले के हाथ से पानी पिया था इसलिए मेरे साथ यह सब हुआ है।

राजा ने गुस्से में उस नौकर को मौत की सज़ा दे दी। थोड़ी ही देर में सिपाहीयों ने उस नौकर को कारागार में बंद कर दिया।

बीरबल को जब इस बात का पता चला तो वह उस नौकर के पास गए और उसे सांत्वना देते हुए कहा, कि चिंता मत करो मै उसे बचा लूंगा। बीरबल तुरंत अकबर के पास गए और उनका हाल-चाल लिया।

तब अकबर ने सारी बात बीरबल को बताई कि कैसे एक मनहूस आदमी की वज़ह से वह बीमार हो गए है। यह बात सुन कर बीरबल हंस पड़े। तब अकबर को गुस्सा आया और वह बोले कि तुम्हें मेरी यह हालत देख कर हंसी आ रही है।

तो बीरबल ने कहा ऐसी बात  नहीं है महाराज। लेकिन एक बात आप से पूछनी थी। अगर मैं उस नौकर से बड़ा मनहूस आप को ढूंढ कर दूँ तो आप क्या करेंगे? क्या आप इस नौकर को सज़ा से मुक्ति दे देंगे?

अकबर ने तुरंत बीरबल की यह शर्त मान ली। और पूछा की बताओ उस नौकर से बड़ा मनहूस कौन है? अब बीरबल बोले,  “उस नौकर से बड़े मनहूस तो आप खुद स्वयं हैं। अकबर ने पूछा वह कैसे।

बीरबल बोले उस नौकर के हाथ पानी पीने से आप की तबियत खराब हुई, आप बिस्तर पर आ गए। लेकिन उसका तो सोचिए, वह तो आप की प्यास बुझाने आया था।

आप की सेवा कर रहा था। लेकिन सुबह सुबह आप की शक्ल देखने से उसको मृत्यु दंड की सज़ा मिल गयी। तो इस तरह उस से बड़े मनहूस तो आप ही हुए न।

बीरबल की यह चतुराई भरी बात सुन कर, अकबर को अपने ऊपर हंसी आने लगी। उन्होने उसी वक्त उस गरीब नौकर को छोड़ देने के आदेश दिया और उसे इनाम भी दिया।

मै यह आशा करता हु, कि अकबर-बीरबल की कहानियां (Akbar Birbal Stories in Hindi) आपको जीवन में आगे बढ़ने कि प्रेरणा देगी।

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Author: Avinash Singh

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